Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

“गुरु और शिष्य”

“गुरु और शिष्य”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
================
नहीं हम मानते गुरु को नहीं सम्मान देते हैं !
नहीं आदर कभी करते नहीं प्रणाम करते हैं !!
गुरु को भी नहीं मतलब बना व्यापार शिक्षा में !
किसी को है नहीं चाहत न पढ़ने में ना दीक्षा में !!
पढ़ने के ही पहले तो गुरु को पढ़ना पड़ता है !
यदि पढ़ नहीं सकते उन्हें मुँह मोड़ना पड़ता है !!
सिफारिस से जो आए हैं उनका कॉलेज में क्या होगा !
वे कुछ ना बोल सकते हैं उनके नौलेज का क्या होगा !!
नहीं मतलब किसी है न किसी को जानते भी हैं !
उन्हें अपनों की है चिंता न किसी को पहचानते भी हैं !!
चलो माना सभी अवगुण गुरु के पास होते हैं !
मगर इसमें हकीकत है दोष शिष्यों में होते हैं !!
गुरु जब श्रेष्ठ हैं सबमें वो सिर्फ ज्ञान ही दे दें !
उन्हीं के मार्ग दर्शन से जगत कल्याण ही कर दें !!
पनप जाएँगे वो रिस्ते जो भटके थे कभी हमसे !
गुरु और शिष्य के रिस्ते नहीं टूटेंगे फिर हमसे !!
=============================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
04.05.2024

Language: Hindi
20 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*रियासत रामपुर और राजा रामसिंह : कुछ प्रश्न*
*रियासत रामपुर और राजा रामसिंह : कुछ प्रश्न*
Ravi Prakash
2411.पूर्णिका
2411.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी रूठ गयी
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
" देखा है "
Dr. Kishan tandon kranti
शीर्षक – वेदना फूलों की
शीर्षक – वेदना फूलों की
Sonam Puneet Dubey
शब्द गले में रहे अटकते, लब हिलते रहे।
शब्द गले में रहे अटकते, लब हिलते रहे।
विमला महरिया मौज
विश्वास करो
विश्वास करो
TARAN VERMA
छैल छबीली
छैल छबीली
Mahesh Tiwari 'Ayan'
तेरी सारी चालाकी को अब मैंने पहचान लिया ।
तेरी सारी चालाकी को अब मैंने पहचान लिया ।
Rajesh vyas
मजदूर का बेटा हुआ I.A.S
मजदूर का बेटा हुआ I.A.S
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मेरे अंतस में ......
मेरे अंतस में ......
sushil sarna
ज्ञान~
ज्ञान~
दिनेश एल० "जैहिंद"
फितरत
फितरत
Srishty Bansal
■ सारा खेल कमाई का...
■ सारा खेल कमाई का...
*Author प्रणय प्रभात*
मन अपने बसाओ तो
मन अपने बसाओ तो
surenderpal vaidya
मेरी प्यारी हिंदी
मेरी प्यारी हिंदी
रेखा कापसे
चांद शेर
चांद शेर
Bodhisatva kastooriya
"" *प्रेमलता* "" ( *मेरी माँ* )
सुनीलानंद महंत
प्यार की भाषा
प्यार की भाषा
Surinder blackpen
Tum ibadat ka mauka to do,
Tum ibadat ka mauka to do,
Sakshi Tripathi
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
Ranjeet kumar patre
*बताओं जरा (मुक्तक)*
*बताओं जरा (मुक्तक)*
Rituraj shivem verma
*कौन-सो रतन बनूँ*
*कौन-सो रतन बनूँ*
Poonam Matia
आखिर मैंने भी कवि बनने की ठानी MUSAFIR BAITHA
आखिर मैंने भी कवि बनने की ठानी MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
Mahendra Narayan
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
बिन बोले सब कुछ बोलती हैं आँखें,
बिन बोले सब कुछ बोलती हैं आँखें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विश्व गुरु भारत का तिरंगा, विश्व पटल लहराएगा।
विश्व गुरु भारत का तिरंगा, विश्व पटल लहराएगा।
Neelam Sharma
तू इश्क, तू खूदा
तू इश्क, तू खूदा
लक्ष्मी सिंह
Loading...