हां मैं मुसलमान हूं !
मैं इस्लाम का मानने वाला हूं,
कुरान की आयत बाचने वाला हूं।
मेरे तौर-तरीके औरों से जुदा हैं,
लेकिन दिल में मेरे भी खुदा है।
मैं भी उसी की संतान हूं,
हां मैं मुसलमान हूं।
मैं ईश्वर की मूरत को नहीं मानता,
खुदा को निराकार ही जानता।
मैं महीने भर रोज़ा रखता हूं,
नियम से सजदा करता हूं।
में इस्लाम की पहचान हूं,
हां मैं मुसलमान हूं।
मुझे लोग देश द्रोही भी कहते,
ताने लोगों के भी हम सहते।
आतंकवाद से हमें जोड़ा जाता है,
बेवजह भी झकझोरा जाता है।
में इबादत की पहचान हूं,
हां मैं मुसलमान हूं।
कुछ लोगो ने कौम को बदनाम किया,
आतंक का घिनौना काम किया।
अच्छे बुरे हर तरह के होते इंसान हैं,
हमारे बीच हुए अब्दुल कलाम हैं।
मैं इस मुल्क की शान हूं,
हां मैं मुसलमान हूं।
मैं पांच वक्त का नमाज़ी हूं,
न मौलवी न कोई काज़ी हूं।
मैंने भी अपने बच्चों को पढ़ाया है,
तालीम देकर उन्हें आगे बढ़ाया है।
में इंसानियत का अरमान हूं,
हां मैं मुसलमान हूं ।
हमारे पुरखे भी आजादी के लिए लड़े,
इस मुल्क की मर्यादा के लिए अड़े।
शहादत हमने भी बहुत दी थी,
अदावत अंग्रेजों से भी ली थी।
देश भक्ति की पहचान हूं,
हां मैं मुसलमान हूं।
हम भी गर्व से तिरंगा लहराते हैं,
मुल्क की तरक्की पर इठलाते हैं।
लिबाज़ भले ही अलग हों मेरे,
दिल सबसे मिल जाते हैं।
मैं भी देश की शान हूं,
हां मैं मुसलमान हूं।