हर हाल में रहना सीखो मन
हर हाल में रहना सीखो मन
हर हाल में रहना सीखो मन, कब सदा बहारें रहती हैं
सुख दुख और शांति अशांति, जीवन में आती रहतीं हैं
ऋतुओं जैसे जीवन में,अपना प्रभाव दिखातीं हैं
बदलती रहती हैं ऋतुएं, ठहर कहां पातीं हैं
सर्दी गर्मी बर्षा ऋतुऐं, क्रम से आया करती हैं
अपने अपने किरदार निभाती, आया जाया करती हैं
सुख-दुख और शांति अशांति, जीवन में आती जाती हैं
कब विपरीत समय आ जाए, नहीं यह जानी जाती हैं
बचपन यौवन और बुढ़ापा, समय से निश्चित आएगा
अपने अपने सुख-दुख भैया, साथ समय के लाएगा
इसलिए चल सीख ले मन,संग समय के रहने की
इच्छा मत रखना जीवन में, हर समय मस्त बहारों की
कई आए और कई गए, सबका अनुभव यह कहता है
जीवन भी है मौसम चक्र की भांति, हर समय बदलते रहता है
हर हाल में रहना सीखो मन,मानस जीवन ये कहता है
हर हाल में रहना सीखो मन, कब सदाबहारें रहती हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी