Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2023 · 1 min read

हरियाली

अब तप रहा है सूरज हमारा
और जल रही हमारी धरती है
तबे की तरह गर्म हमारे कमरों में
गर्मी अपनी मनमानी करती है
सड़कों पर वृक्षों की छाॅंव अब
पहले की तरह कहाॅं सजती है
प्यारी कोयल भी पहले की तरह
कू कू भी तो अब नहीं करती है
नदियाॅं भी अब अपनी लय में
निर्भय होकर कहाॅं बह पाती है
धरती की हरियाली भी अब तो
कुछ लोगों की ऑंखों में गड़ जाती है
बढ़ रहा है जनसंख्या का भार
कोई भी नहीं पाएगा उससे पार
जीने का बदला है अब मूलाधार
लकड़ी का भी अब बढ़ा है व्यापार
धरती की अलौकिक सुन्दरता तो
अब धीरे-धीरे हो जाएगी तार-तार
अभी भी अगर नहीं संभले हम
धरती बन जाएगी मरूभूमि थार

Language: Hindi
58 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Paras Nath Jha
View all
You may also like:
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
gurudeenverma198
कहो तुम बात खुलकर के ,नहीं कुछ भी छुपाओ तुम !
कहो तुम बात खुलकर के ,नहीं कुछ भी छुपाओ तुम !
DrLakshman Jha Parimal
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
Jogendar singh
नींद आज नाराज हो गई,
नींद आज नाराज हो गई,
Vindhya Prakash Mishra
"एक पैगाम पिता के नाम"
Pushpraj Anant
ଆସନ୍ତୁ ଲଢେଇ କରିବା
ଆସନ୍ତୁ ଲଢେଇ କରିବା
Otteri Selvakumar
पिछले पन्ने भाग 1
पिछले पन्ने भाग 1
Paras Nath Jha
बसंती बहार
बसंती बहार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"बेहतर आइडिया"
Dr. Kishan tandon kranti
■ निकला नतीजा। फिर न कोई चाचा, न कोई भतीजा।
■ निकला नतीजा। फिर न कोई चाचा, न कोई भतीजा।
*प्रणय प्रभात*
काम पर जाती हुई स्त्रियाँ..
काम पर जाती हुई स्त्रियाँ..
Shweta Soni
दो शे'र ( मतला और इक शे'र )
दो शे'र ( मतला और इक शे'र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
23/25.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/25.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच
माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच
Sarfaraz Ahmed Aasee
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
औरतें ऐसी ही होती हैं
औरतें ऐसी ही होती हैं
Mamta Singh Devaa
दोस्ती
दोस्ती
Neeraj Agarwal
*वही एक सब पर मोबाइल, सबको समय बताता है (हिंदी गजल)*
*वही एक सब पर मोबाइल, सबको समय बताता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
Rituraj shivem verma
निदामत का एक आँसू ......
निदामत का एक आँसू ......
shabina. Naaz
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
SHAMA PARVEEN
कृष्ण की राधा बावरी
कृष्ण की राधा बावरी
Mangilal 713
तुम में एहसास
तुम में एहसास
Dr fauzia Naseem shad
🌹 *गुरु चरणों की धूल*🌹
🌹 *गुरु चरणों की धूल*🌹
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
पूर्वार्थ
कुछ हकीकत कुछ फसाना और कुछ दुश्वारियां।
कुछ हकीकत कुछ फसाना और कुछ दुश्वारियां।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
!............!
!............!
शेखर सिंह
Loading...