हम सुख़न गाते रहेंगे…
तुम बुलाओ मत बुलाओ, हम मगर आते रहेंगे।
सुख यही तो है हमारा, हम सुख़न गाते रहेंगे।
अब न हम भी चुप रहेंगे, बात हर खुलकर कहेंगे।
हर कमी हम आपकी भी, सामने लाते रहेंगे।
आदमी ही आदमी को, किस कदर अब छल रहा है।
लाठियाँ हैं पास जिनके, जुल्म क्या ढाते रहेंगे ?
क्या यही है न्याय बोलो, क्या यही दस्तूर जग का ?
काम सारे हम करेंगे, लाभ वो पाते रहेंगे ?
हम अगर खामोश हैं तो, जीत मत समझो इसे।
छेड़ दें जो राग हम भी, आप हकलाते रहेंगे।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)