हम उनकी तलाश में हैं जो हमारी तलाश में हों
मटके में पानी कम हो, और कुआं भी उफ़ान पे हो
हम उनकी तलाश में हैं जो हमारी तलाश में हों।
इक अरसे से गला और ज़ुबान दोनों सूखे हैं
काश तू ही सांस में हो, तू ही प्यास में हो।
ज़िस्म की ख़्वाहिश नहीं, रूहदार चाहिए
दूर रहे हमसे, जो ज़िस्म के लोथड़ों की आस में हो।
काश तक़दीर हमारी भी संवार जाए यारों,
वो हमारी सांसों में हो, और हम उनकी सांस में हों।
यार का दीदार हो तो जादू कुछ ऐसा हो जाए
उठ जाए देखकर यार को, दम इतना लाश में हो।
वो हमारे दिमाग़ से उलझे नहीं, लेकिन दिल को पढ़ले
क़ुव्वत इतनी तो हमारे ख़ास में हो।
दुनिया में कोई और नहीँ एक तेरे-मेरे सिवा
कहे “सुधीरा” केवल इतना दोनों के अहसास में हो।