Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2020 · 1 min read

हमारे अंदाज और आवाज मे कोरोना

मजदूर पलायन कर रहे ।
सब शहर से अपने गाँव ।
भूखे-प्यासे कब तक रहेंगे ।
ये लॉकडाऊन धूप छाँव ।
कोरोना ना, ना,ना

कुदरत से खिलवाड़ का ।
पुरा धरा भुक्ते अंजाम ।
चीन -वुहान से फैली बीमारी ।
सबका कर रही राम नाम ।
कोरोना ना, ना, ना ।

टीका अब तक बना नही ।
सामाजिक दूरी ईलाज ।
मास्क लगाना, हाथ को धोना ।
कॉमन हो गया आज ।
कोरोना ना, ना, ना ।

बर्गर, पिज्जा बंद हुआ सब ।
कोरोना के यही काल ।
बाजार भी अपनी सूनी लगे ।
जैसे घूम रहे भूत कपाल ।
कोरोना ना, ना, ना ।

कोरोना व्यंग्यकार:- ??Rj Anand Prajapati ??

Language: Hindi
2 Likes · 292 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
2737. *पूर्णिका*
2737. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चुनाव फिर आने वाला है।
चुनाव फिर आने वाला है।
नेताम आर सी
माँ
माँ
meena singh
नव प्रबुद्ध भारती
नव प्रबुद्ध भारती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वर्तमान, अतीत, भविष्य...!!!!
वर्तमान, अतीत, भविष्य...!!!!
Jyoti Khari
*सम्मति*
*सम्मति*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आख़री तकिया कलाम
आख़री तकिया कलाम
Rohit yadav
दुख है दर्द भी है मगर मरहम नहीं है
दुख है दर्द भी है मगर मरहम नहीं है
कवि दीपक बवेजा
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
काश लौट कर आए वो पुराने जमाने का समय ,
काश लौट कर आए वो पुराने जमाने का समय ,
Shashi kala vyas
रामराज्य
रामराज्य
कार्तिक नितिन शर्मा
Kbhi asman me sajti bundo ko , barish kar jate ho
Kbhi asman me sajti bundo ko , barish kar jate ho
Sakshi Tripathi
सोचता हूँ रोज लिखूँ कुछ नया,
सोचता हूँ रोज लिखूँ कुछ नया,
Dr. Man Mohan Krishna
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*Author प्रणय प्रभात*
अनमोल
अनमोल
Neeraj Agarwal
" दम घुटते तरुवर "
Dr Meenu Poonia
गिरता है धीरे धीरे इंसान
गिरता है धीरे धीरे इंसान
Sanjay ' शून्य'
"पल-पल है विराट"
Dr. Kishan tandon kranti
बनारस की ढलती शाम,
बनारस की ढलती शाम,
Sahil Ahmad
तुम अगर कविता बनो तो गीत मैं बन जाऊंगा।
तुम अगर कविता बनो तो गीत मैं बन जाऊंगा।
जगदीश शर्मा सहज
अपनी मर्ज़ी के
अपनी मर्ज़ी के
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
कहीं  पानी  ने  क़हर  ढाया......
कहीं पानी ने क़हर ढाया......
shabina. Naaz
घूँघट (घनाक्षरी)
घूँघट (घनाक्षरी)
Ravi Prakash
आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद लगता हैं,
आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद लगता हैं,
Jay Dewangan
🌹Prodigy Love-31🌹
🌹Prodigy Love-31🌹
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
Vandna thakur
पास आएगा कभी
पास आएगा कभी
surenderpal vaidya
.........,
.........,
शेखर सिंह
Loading...