हमारी सोच
शीर्षक – हमारी सोच
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आप और हम जीवन जीते हैं।
सच और झूठ फरेब रखते हैं।
हम सभी समाज की सोच है।
न जाने कितने सपने हमारे हैं।
न हम सच न हम झूठ है।
सात फेरों की रस्म निभाते हैं।
सच तो हम सभी जानते हैं।
मोह माया के बंधन निभाते हैं।
जिंदगी और जीवन जीने आंतें हैं।
संग साथ कहां कौन निभाते हैं।
बस यूं ही गुजर बसर हम करते हैं।
सच प्रेम चाहत में मीरा राधा मानते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र