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13 Apr 2024 · 1 min read

बैसाखी पर्व पर प्रीतम के दोहे

अभिनव वर्ष प्रतीक है, बैसाखी त्योहार।
धूमधाम से पर्व को, जीतें हैं सरदार।।/ 1

दसवें गुरु गोविंद सिख, दिया खालसा पंथ।
बैसाखी उत्सव तभी, लिखा गया गुरु- ग्रंथ।।//2

फसलोत्सव का पर्व है, बैसाखी त्योहार।
मीठा बाँटे नृत्य कर, गले लगाएँ यार।। //3

शाँति प्रेम सद्भाव का, बैसाखी उपहार।
साहस देकर रीति से, दूर करे मन भार।।//4

फ़सल कटाई हो शुरू, बैसाखी शुरुआत।
अन्न मिले तो तन चले, बनती रात प्रभात।।//5

बैसाखी आनंद दे, धोए दिल का खार।
हृदय-हृदय से हर मिला, घोले केवल प्यार।।//6

धूम ढोल अरु भांगड़ा, मेलों की हो शान।
देखो गिद्दा नृत्य भी, बैसाखी पहचान।।//7

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 21 Views
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