हमसे ना पूंछो तमन्ना ए कल्ब।
हमसे ना पूँछो तमन्ना ए कल्ब कि हम अपने दिल में क्या चाहते हैं।
हर सजदे में इक तुम्हारा ही नाम लेकर बस तुमको खुदा से मांगते हैं।।1।।
तुम हो अजनबी हमारे लिए तुमसे ना कोई पहले से राब्ता है।
फिर क्यों हमको ऐसा लगे है जैसे हम तुमको जन्मों से जानते हैं।।2।।
मंजिल का ना पता है रास्तों से भी वे सारे के सारे बेखबर हैं।
जाने कब से वो मुसाफिर बंजर जमीन की उड़ती धूल फांकते हैं।।3।।
जब से हुआ है इश्क देखो वो दोनों मोहब्ब्त में बेखौफ हो गए हैं।
आशिक अपनी चाहत की खातिर प्यार में हर हद को लांघते है।।4।।
अफवाहों का बाजार बड़ा ही चलता है लोगों के दरम्यान।
रेत पर लिख कर तुम्हारा नाम हम हर बार ही खुदसे मिटाते हैं।।5।।
इश्क है तुमसे पर इजहार करने से जाने क्यों डरते हैं।
इक तुमको छोड़कर पूरी दुनियां में सब ही यह बात जानते हैं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ