हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा / MUSAFIR BAITHA
मैं आपको सहज दिख रहा होऊंगा
लग रहा होऊंगा मुस्कुराता हुआ
सन्तुष्ट भाव का परिचय
मेरे चेहरे से पा रहे होंगे आप
शिकवा शिकायत दुःख दर्द क्लेश का
कोई रग-रेशा नहीं मिल पा रहा होगा
मुस्कान मंडित मेरे मुखड़े से आपको
मुझे आप सदा सदा से, युगों युगों से
प्रताड़ना-वंचित सा पा सकते हैं यद्यपि कि
साहेब!
हत्या-अभ्यस्त हत्यारे का केवल चेहरा पढ़
क्या आप उसके द्वारा अंजाम दिए गये
लाखो गुनाहों को लख सकते हैं
नहीं न!
सतत हत्या में रत एवं हत
दोनों आत्यंतिक छोरों का चेहरा
अक्सर नकली होता है!