स्वप्न सुंदरी तेरा नाम है क्या
मेरे सपनों में आने वाली है,
स्वप्न सुंदरी तेरा नाम है क्या।
तेरे खयालो में खोया रहता,
अपनी जरा पहचान तो बता।
ओस के बूंदों की तरह मेरे
दिल पर गिरी,
तेरी अदाएं अल्हड़ हिरणी सी।
कहा से आई किस देश मे तु
रहती है,
होता है प्रतीत नभ से आई
कोई परी है।
मेरी कोमल कल्पनाओं में सदा
भरती उड़ान,
लतांत कहु, गुल, गुलशन प्रसून
का तुझे दूँ नाम।
लगता है चाँद की रोशनी से नहा कर
आई तुम,
मन मेरे कुमुद खिलते लेती जब
अंगड़ाई तुम।
तेरे रूप यौवन का कैसे करूं
साहित्य सृजन,
कवि की मनोरचना से भी सुंदर
हैं अद्वितीय आनन।
तेरे रूपगौविता का करूँ आमरण
बखान,
अपना पता बता के कर दे मुझपर
एहसान।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® आलोक पाांडेय
गरोठ, मंंदसौर, (मध्यप्रदेश)