Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jan 2022 · 1 min read

स्त्रियाँ

स्त्रियाँ

वेग इतना कि वो पत्थर चीर निकलती है
कोमल इतनी कलकल छलछल बहती है
हर ढलान पे ढलती नदी सी होती हैं स्त्रियाँ
दो पाटों के बीच सिमटी सी होती है स्त्रियाँ

तकिये तले जब टूटे सपने रहते तिलमिला
पल्लू की गाँठ में बांधती बिखरा हौसला
चौखट के अंदर भी बुद्ध हो जाती हैं स्त्रियाँ
पिंजरे में भी आसमान नाप लेती है स्त्रियाँ

ऊब घर से छोड़ सब जाना चाहती कहीं
फिर भी ना जाने रह जाती वहीं की वहीं
रिश्तों में खोकर खुद को पा लेती है स्त्रियाँ
पूर्ण समर्पण का जश्न मना लेती हैं स्त्रियाँ

तपते सेहरा पर लिख आती नीला समंदर
एक पाँव जमीं पर तो दूजा असीम अम्बर
जुड़े में आशा के फूल गूँथ लेती है स्त्रियाँ
जीवन को ठिठोली सा जी लेती है स्त्रियाँ

टूटती है बिखरती है फिर है जुड़ जाती
मिट्टी में दबे बीज सी हर बार उग आती
हर दायरा तोड़ बढ़ती नभ ओर है स्त्रियाँ
गहन तम को चीर सुनहरी भोर है स्त्रियाँ

रेखांकन।रेखा
२०.१.२२

Language: Hindi
3 Likes · 251 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नच ले,नच ले,नच ले, आजा तू भी नच ले
नच ले,नच ले,नच ले, आजा तू भी नच ले
gurudeenverma198
"You’re going to realize it one day—that happiness was never
पूर्वार्थ
लेकिन क्यों
लेकिन क्यों
Dinesh Kumar Gangwar
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
Anand Kumar
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
देख लूँ गौर से अपना ये शहर
देख लूँ गौर से अपना ये शहर
Shweta Soni
"मैं" के रंगों में रंगे होते हैं, आत्मा के ये परिधान।
Manisha Manjari
मेरा भारत जिंदाबाद
मेरा भारत जिंदाबाद
Satish Srijan
*अग्रोहा फिर से मिले, फिर से राजा अग्र (कुंडलिया)*
*अग्रोहा फिर से मिले, फिर से राजा अग्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
Rajesh
आपके आसपास
आपके आसपास
Dr.Rashmi Mishra
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
Chunnu Lal Gupta
निष्कर्ष
निष्कर्ष
Dr. Kishan tandon kranti
पत्थर तोड़ती औरत!
पत्थर तोड़ती औरत!
कविता झा ‘गीत’
योग हमारी सभ्यता, है उपलब्धि महान
योग हमारी सभ्यता, है उपलब्धि महान
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पश्चाताप
पश्चाताप
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*पीड़ा*
*पीड़ा*
Dr. Priya Gupta
अजनबी
अजनबी
लक्ष्मी सिंह
#गणितीय प्रेम
#गणितीय प्रेम
हरवंश हृदय
🇭🇺 श्रीयुत अटल बिहारी जी
🇭🇺 श्रीयुत अटल बिहारी जी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
यह शहर पत्थर दिलों का
यह शहर पत्थर दिलों का
VINOD CHAUHAN
कविता -
कविता - "बारिश में नहाते हैं।' आनंद शर्मा
Anand Sharma
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
स्त्री रहने दो
स्त्री रहने दो
Arti Bhadauria
फूल और कांटे
फूल और कांटे
अखिलेश 'अखिल'
चुप रहना भी तो एक हल है।
चुप रहना भी तो एक हल है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
बेख़बर
बेख़बर
Shyam Sundar Subramanian
हिन्दी माई
हिन्दी माई
Sadanand Kumar
Loading...