Kuch nahi hai.... Mager yakin to hai zindagi kam hi sahi.
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
जब चांद चमक रहा था मेरे घर के सामने
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
*जब एक ही वस्तु कभी प्रीति प्रदान करने वाली होती है और कभी द
संविधान की बात करो सब केवल इतनी मर्जी है।
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*नेता जी के घर मिले, नोटों के अंबार (कुंडलिया)*
💐प्रेम कौतुक-317💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
तेरे भीतर ही छिपा,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali