*”स्कंदमाता’*
?? “स्कंदमाता”??
स्कंदमाता तेरी करे उपासना
मोक्ष के द्वार खोलने वाली परम सुख दायिनी।
बाल रूप स्कंद कार्तिकेय गोदी में ,चार भुजा कमल पुष्प पद्मासना धारिणी।
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भक्त तुम्हारे शरणागत आये
अनहद चक्र साधती विशुद्ध चैतन्य स्वरुपिणी।
ध्यान साधना की वृत्तियों को एकाग्र ,
विशुद्ध चैतन्य प्रदायिनी।
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देवासुर संग्राम में असुरों का संहार कर,
महिषासुर मर्दानी।
अद्भुत शक्त स्कंद की जननी ,
करुणामयी दर्शन प्रदायिनी।
उज्ज्वल निर्मल दिव्यस्वरूप ,
शारदीय चन्द्र मनभामिनी।
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सच्चे मन से भक्त जो ध्यावे ,संकटों स विपदाओं को दूर कर मुक्तिदायिनी।
तेरी शरण जो भी आये सोए भाग्य जगा महिषासुर मर्दानी।
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तेरे चरणों में शीश झुकाते जीवन सफल परम सुखदाई मोक्षदायिनी।
मोहमाया के चक्र से छूटे ,
सुमिरन कर दुख दूर पल में सुखदायिनी।
कमल पुष्प सा खिले अंतर्मन शुद्ध चैतन्य रूप प्रदायिनी।
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स्कंदमाता तेरी उपासना से इच्छा पूर्ण होती, मृत्युलोक में परम शांति मोक्षदायिनी।
मोक्ष द्वार स्वयं सुलभ हो जाता दैवीय शक्ति करुण भाव प्रदायिनी।
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या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
शशिकला व्यास✍️