सौगंध हमे इस माटी की
श्री राम वसे है कण कण मे, श्री कृष्ण सा रास रचायेगे।
राधा मीरा की विरह कथा, चाडक्य सा फर्ज निभायेगे।।
वीरो की गाथा गूँज रही, सब मिल कर देश बढ़ायेगे।
सौगन्ध हमे इस माटी की ,हम इसकी लाज बचायेगे।।
जिसने अपनो को गेर किया, उनमे अपनत्व जगायेगे।
जिसने क्रूरोसा क्रूर किया,हम उनको सबक सिखायेगे।।
न प्रेम से प्रीत मिले प्यारे , हम ईट से ईंट बजा देगे।
औकात बतायेगा गर तू , तुझको औकात बतादेगे।।
गर बात नही मानेगा तो हम रक्त की गंग बहा देगे।
ख्वाबो को चकना चूर करे, हम सर से धड़ मुड़वा देगे।।
“कृष्णा” गर हाँथ बढ़ायेगा, हम तुझको हृदय लगायेगे।
तू हमको गर अपना येगा,हम तुझको शीश झुकायेगे।।
✍कृष्णकांत गुर्जर धनौरा 09/11/19 09:21pm