Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Dec 2022 · 1 min read

सौंदर्य

मातृशक्ति का सौंदर्य धरा , प्रेम वसा कण कण में
सृजन पालन पोषण करती ,मां वसी हुई जीवन में
संभव नहीं प्रकृति विन जीवन, सौंदर्य नहीं जन मन में
पोर पोर सौंदर्य प्रेम, सृजन समाया तन में
जलचर थलचर नभचर नाना,जीव प़कृति ने जाए
नाना वनस्पति अन्न फल,पालन को उपजाए
जल जंगल जमीन धरा पर, जीवन गीत सुनाए
शैल शिखर नदियां सागर,पवन मंद मुस्काए
पुष्प लताएं सुरभित सुगंध, मनोहर छटा कही न जाए
मां सा नहीं सुंदर कोई जग में, समग्र सौंदर्य वोध समाए
मां की मां धरती मां हैं, कौन कवि उपमा कह पाए
अनुपम सौंदर्य प्रेम सृजन, लालन पालन सुख उपजाए
मातृशक्ति प़कृति हैं, जिनके सब हैं जाए
अंतस वाह्य सौंदर्य रूप गुण, महिमा कही न जाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

1 Like · 665 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all

You may also like these posts

ये क्या नज़ारा मैंने दिनभर देखा?
ये क्या नज़ारा मैंने दिनभर देखा?
Jyoti Roshni
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
अमित
कोई तंकीद
कोई तंकीद
Dr fauzia Naseem shad
बहुत रोने का मन करता है
बहुत रोने का मन करता है
Dr. Paramjit Oberoi
दादी माँ - कहानी
दादी माँ - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
Rambali Mishra
जितनी स्त्री रो लेती है और हल्की हो जाती है उतना ही पुरुष भी
जितनी स्त्री रो लेती है और हल्की हो जाती है उतना ही पुरुष भी
पूर्वार्थ
"औकात"
Dr. Kishan tandon kranti
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
Ranjeet kumar patre
3782.💐 *पूर्णिका* 💐
3782.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
भारत की नई तस्वीर
भारत की नई तस्वीर
Dr.Pratibha Prakash
कह दो!
कह दो!
©️ दामिनी नारायण सिंह
सूना- सूना घर लगे,
सूना- सूना घर लगे,
sushil sarna
रातों की सियाही से रंगीन नहीं कर
रातों की सियाही से रंगीन नहीं कर
Shweta Soni
मेरी प्रेम कहानी फ़क्त सिर्फ इतनी सी रही
मेरी प्रेम कहानी फ़क्त सिर्फ इतनी सी रही
Ritesh Deo
..
..
*प्रणय*
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
Subhash Singhai
दोहे
दोहे
अनिल कुमार निश्छल
विडम्बना
विडम्बना
Shaily
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Mukesh Kumar Sonkar
घनाक्षरी
घनाक्षरी
अवध किशोर 'अवधू'
खुशी कोई वस्तु नहीं है,जो इसे अलग से बनाई जाए। यह तो आपके कर
खुशी कोई वस्तु नहीं है,जो इसे अलग से बनाई जाए। यह तो आपके कर
Paras Nath Jha
सुनो मैथिल! अब सलहेस कहाँ!
सुनो मैथिल! अब सलहेस कहाँ!
श्रीहर्ष आचार्य
नवरात्रि में ध्यान का महत्व। - रविकेश झा
नवरात्रि में ध्यान का महत्व। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
क्या कहूँ
क्या कहूँ
Usha Gupta
अपना बेरीया लागेली भागे
अपना बेरीया लागेली भागे
नूरफातिमा खातून नूरी
-गलतिया -
-गलतिया -
bharat gehlot
श्रंगार लिखा ना जाता है– शहीदों के प्रति संवेदना।
श्रंगार लिखा ना जाता है– शहीदों के प्रति संवेदना।
Abhishek Soni
👨🏻‍🎓वकील सहाब 👩‍💼
👨🏻‍🎓वकील सहाब 👩‍💼
Dr. Vaishali Verma
उसने अपना पसीना बहाया है
उसने अपना पसीना बहाया है
gurudeenverma198
Loading...