सोचो
सोचो
यह ज़िन्दगी किस काम की है
सोचो तो जरा
क्या किया है हमने
सोचो तो जरा
क्या धर्म, ईमान कहता है
सोचो तो जरा
क्या किया है हमने
सोचो तो जरा
कोई डूवा हुस्न के रंग में
कोई डूबा जर् जमीं में
है डूबना यहां किसमें
सोचो तो जरा ।।
***दिनेश कुमार गंगवार ***