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28 Oct 2024 · 1 min read

” सोचता हूँ “

” सोचता हूँ ”
अक्सर मैं ये सोचता हूँ
क्या शहर के इंसान ऐसे होते हैं,
सुबह के उजालों में जाकर
जो कहीं शाम ढले घर लौटते हैं।

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