सेहत तो अपनी है —- कविता
कोई हो न हो अपना सेहत तो अपनी है।
ध्यान इसका रखना चाहिए।।
आलस्य त्याग भोर में जगना चाहिए।।
नींद तो खुल ही जाती है।
पर बिछोना भी त्यागना चाहिए।।
ताजा हवा बहती है चारों ओर।
अपनी सेहत के लिए थोड़ा भागना तो चाहिए।।
दिन भर रहेगी ताजगी ऐ मेरे मीत।
सत्य है यह क्रिया अपनाना तो चाहिए।।
युवा काल हो या बढ़ती उम्र मेरे भाई।
नीति यह सब को अपनाना चाहिए।।
होगी निरोगी काया जो सबसे बड़ी माया।
इस दौलत का संचय करना चाहिए।।
राजेश व्यास अनुनय