यह प्यार झूठा है
क्यों तू रूठा है, क्यों तू टूटा है।
क्यों गम में डूबा है, यह प्यार झूठा है।।
यह प्यार झूठा है———————(4)
क्यों तू रूठा है———————–।।
किससे करता है तू आशा, उम्रभर साथ देने की।
क्यों यहाँ खड़ा है तू , उम्मीद है किसके आने की।।
क्यों उसपे तू फिदा है, जिसने तुमको लुटा है।
यह प्यार झूठा है—————————(4)
क्यों तू रूठा है—————————–।।
जिसको लुटाता रहा तू , अब तक अपनी दौलत।
जिसको करता रहा तू , अब तक सच्ची मोहब्बत।।
क्यों तू उससे वफ़ा है, जिसका दिल खोटा है।
यह प्यार झूठा है—————————(4)
क्यों तू रूठा है —————————-।।
तुमको कभी भी खुशियां, जिनसे नहीं मिली है।
जिनसे कभी दिल से इज्जत,तुमको नहीं मिली है।।
क्यों उनको रोता है तू , वह तो एक खटका है।
यह प्यार झूठा है————————–(4)
क्यों तू रूठा है —————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)