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16 May 2023 · 1 min read

मै ठंठन गोपाल

मै ठंठन गोपाल

बिछा हुआ हैँ सेज पर
अब काँटों का बौच्छर
मेरी मुहब्बत छोड़ गईं
मै हुआ ठंठन गोपाल..

विरहागनी पर जलते जलते
लिख रहा हूँ लेख
मेरी मुहब्बत अब छोड़ गईं
विधुर हृदय को देख.

तड़फ रहा हैँ विधुर हृदय
क्या लिखेगा लेख
मेरी मुहब्बत हृदय बसे
हृदय फाड़ कर देख.

लिखते लिखते हाथ हिली
लड़ख रहा जो बाल
मेरी मुहब्बत छीन गईं
मै हुआ ठंठन गोपाल

डॉ. विजय कन्नौजे अमोदी आरंग रायपुर

Language: Hindi
2 Likes · 249 Views
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