“सूने मन के”
“सूने मन के”
सूने मन के सतरंगी सपने
कभी मोर बनकर नाचा
कभी कोयल बनकर कूँका
दिन दून रात दस गुना,
कभी कलम पकड़कर
खूबसूरत शब्दों का जाल बुना।
“सूने मन के”
सूने मन के सतरंगी सपने
कभी मोर बनकर नाचा
कभी कोयल बनकर कूँका
दिन दून रात दस गुना,
कभी कलम पकड़कर
खूबसूरत शब्दों का जाल बुना।