सूना आँगन सूनी कोख
उसके गम को क्या कहेगें सीने पर रखा पत्थर है..
नीत झर झर बहते आँसू है सूना आँगन है सूनी कोख..
दिल मे छूपी एक न्नही परी खिलखिला कर हँसती है…
हा हा हूं हूं करती रहती जाने क्या क्या कहती है.।
पास बुलाने छुने को तरसता सा मन है.
नीत झर झर बहते आँसू है सूना आँगन है सूनी कोख..
न्नही परी सोन चिरयीया यूं ही नही कहलाती वो..
पहन फ्रैंक इठलाती जाती हर दूख पर मरहम लगाती वो..
जीवन का हर कोना खाली खाली रह गया तन..
आ जाती संकेतों मे अस्तित्व को पहचाना बना जाती वो…
खुल कर हँसने झूमने को बाट निहारे मन है..
नीत झर झर बहते आँसू है सूना आँगन है सूनी कोख….❤