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5 May 2024 · 1 min read

जीवन की धूप-छांव हैं जिन्दगी

#दिनांक:-5/5/2024
#शीर्षक:-जीवन की धूप-छांव है जिन्दगी।

किसी के हाथ न आती है ये जिन्दगी ,
जब लगे समझ रहे हो इसे ,
तुरन्त करवट बदल लेती है जिन्दगी ।

अनायास परेसान नहीं करती जिन्दगी,
दूसरो को जितना सताओगे ,
उतना बदला लेती जिन्दगी ।

झूठ खंडित नहीं करती ये जिन्दगी,
सच का गुणगान कर ,
झूठ महिमामंडित करती जिन्दगी।

हर मजहब कि दावेदार है जिन्दगी,
किरदार तुम जितना चाहो बदल लो,
हर किरदार की रिश्तेदार है जिन्दगी ।

जीवन की धूप छांव है जिन्दगी,
डूबाती है उफनती नदी सी,
तुम राही रास्ता मंजिल है जिन्दगी।
नमस्कार
जिस्म के खेल में खुशी दिखाती जिन्दगी ,
अफसोसजनक है वो जीवन ,
रूहानियत प्यार को तड़पाती है जिन्दगी।

हर एक पाई का हिसाब करती है जिन्दगी,
कैलकुलेटर की जरूरत तुम्हें है,
भूल को भी याद कर लिखती है जिन्दगी।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
21 Views
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