Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2021 · 1 min read

सूखे वृक्ष

डॉ‌ ‌अरुण‌ ‌कुमार‌ ‌शास्त्री‌ ‌//‌ ‌एक‌ ‌अबोध‌ ‌बालक‌ ‌//‌ ‌अरुण‌ ‌अतृप्त‌*

पीता हूँ तब ही तो जी लेता हूँ
तेरे बाप से क्या लेता हूँ ।।

गम ही है अब मेरा सहारा
जिनके संग मैं जीता हूँ ।।

कोशिश कर कर हार गया
तुमको समझाना मुश्किल था ।।

सूखे सूखे वृक्षों पर तो अब
फूल खिलाना मुश्किल था ।।

राह बदल ली अब तो मैंने
परिवर्तन लाना मुश्किल था ।।

एक अकेला भाड़ क्या फ़ोड़ू
बात जगत में जाहिर है ।।

हाँथ मिलाऊँ कदम बढ़ाऊँ
फिर मंजिल पाना सीख लिया

तड़ग पड़ा जो रीता रीता
कैसे उसमें जल भर लाऊँ

सूखी सूखी नदिया को तो
पानी पिलाना मुश्किल था ।।

पीता हूँ तब ही तो जी लेता हूँ
तेरे बाप से क्या लेता हूँ ।।

गम ही है अब मेरा सहारा
जिनके संग मैं जीता हूँ ।।

कोशिश कर कर हार गया
तुमको समझाना मुश्किल था ।।

362 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
सीख
सीख
Ashwani Kumar Jaiswal
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
Shweta Soni
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
Arvind trivedi
"लोग क्या कहेंगे" सोच कर हताश मत होइए,
Radhakishan R. Mundhra
प्यार है,पावन भी है ।
प्यार है,पावन भी है ।
Dr. Man Mohan Krishna
लक्ष्य जितना बड़ा होगा उपलब्धि भी उतनी बड़ी होगी।
लक्ष्य जितना बड़ा होगा उपलब्धि भी उतनी बड़ी होगी।
Paras Nath Jha
वो अनुराग अनमोल एहसास
वो अनुराग अनमोल एहसास
Seema gupta,Alwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
*हम पर अत्याचार क्यों?*
*हम पर अत्याचार क्यों?*
Dushyant Kumar
एक ख़त रूठी मोहब्बत के नाम
एक ख़त रूठी मोहब्बत के नाम
अजहर अली (An Explorer of Life)
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
Lakhan Yadav
All your thoughts and
All your thoughts and
Dhriti Mishra
मेरे जाने के बाद ,....
मेरे जाने के बाद ,....
ओनिका सेतिया 'अनु '
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
Jogendar singh
SHELTER OF LIFE
SHELTER OF LIFE
Awadhesh Kumar Singh
उम्रभर
उम्रभर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
Writer_ermkumar
गैरो को कोई अपने बना कर तो देख ले
गैरो को कोई अपने बना कर तो देख ले
कृष्णकांत गुर्जर
फूलों से भी कोमल जिंदगी को
फूलों से भी कोमल जिंदगी को
Harminder Kaur
गणेश वंदना
गणेश वंदना
Bodhisatva kastooriya
काम न आये
काम न आये
Dr fauzia Naseem shad
"स्केल पट्टी"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ इनायतें ख़ुदा की, कुछ उनकी दुआएं हैं,
कुछ इनायतें ख़ुदा की, कुछ उनकी दुआएं हैं,
Nidhi Kumar
बाल कविता: तितली
बाल कविता: तितली
Rajesh Kumar Arjun
*भरत चले प्रभु राम मनाने (कुछ चौपाइयॉं)*
*भरत चले प्रभु राम मनाने (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
हे दिल तू मत कर प्यार किसी से
हे दिल तू मत कर प्यार किसी से
gurudeenverma198
Mai deewana ho hi gya
Mai deewana ho hi gya
Swami Ganganiya
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
*प्रणय प्रभात*
Loading...