“सीमा रहित”
शायद
गूंगा होता है प्रेम
ना तो वह
कुछ कहता है,
ना ही
कुछ करता है।
अक्सर वह
चुप रहता है,
फिर भी
उसका दावा है
कि वो प्रेम करता है।
शायद इसलिए कि
शब्द की सीमा है
मगर प्रेम असीमित है
अनन्त है
अपरिमित है
हृदय में समाहित है।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति +
डॉ. अम्बेडकर नेशनल फैलोशिप अवार्ड प्राप्त।