Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2020 · 3 min read

सीख…

जीवन में हर क्षण कुछ सीखने को मिलता हैं, सीखने की कोई उम्र नहीं होती हैं । जिससे भी हमें उपयुक्त ज्ञान मिले उसे बेझिझक प्राप्त कर लेना चाहिए । ज्ञान देने वाला कोई भी हो सकता है । एक बालक से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है । पेड़ से फल गिरना सामान्य घटना हैं, किन्तु महान वैज्ञानिक न्यूटन ने उसी पेड़ और फल से ज्ञान लेकर गुरुत्वाकर्षण बल का सिद्धांत, संसार को दिया , उसी प्रकार बेंजीन की जटिल सरंचना को सुलझाते सुलझाते वैज्ञानिक निराश हो चुके थे, किन्तु कैकुले ने स्वप्न में सर्प की घटना से सीखकर बेंजीन की षट्कोणीय सरंचना बनाई । अतः कहने का आशय यह है कि बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त नहीं होता है । यह भी सच है कि जब समस्या आती है तब ईश्वर उसका समाधान गुरु के रूप में अवश्य भेजता हैं ।
समय भी हमें बहुत कुछ सिखाता हैं, समय सबसे बड़ा गुरू है । एक छोटी सी कहानी मुझे याद आ गई..
सुविधा और अभाव दो जन एक ही शहर में रहते थे । सुविधा घर से बहुत सम्पन्न था, छोटे छोटे कार्यो के लिए भी बहुत सारे नौकर लगे हुए थे । सुविधा को सुबह बिस्तर उठाने, ब्रश पर पेस्ट लगाने तक के छोटे मोटे कार्यो को भी नहीं करना पड़ता था । जीवन बड़े ही ऐशो आराम से कट रहा था, दुःखी होने का कोई कारण बचा नहीं था, बस समय कैसे कटे , करवटें बदलते बदलते थक जाता था, नींद भी बड़ी मुश्किल से आती थी । नींद को ऐसे लोग कम ही पसंद आते हैं । कभी कभी सुविधा को नींद की गोलियां भी खानी पड़ती थी । धन दौलत की कमी थी नहीं, जो मन करता वही कार्य करता था, क्या सही हैं या गलत , इस बात की सीख देने वाले बहुत थे, किन्तु वो किसी की नहीं मानता था । नौकर को अपना गुलाम मानता था , उनकी सही सीख भी उसे हीन दिखाई देती थी । धीरे धीरे गलत संगति के कारण जुए की लत लग गयी । समय का चक्र घूमा, कुछ वर्षों बाद…… धीरे धीरे वैभव विलासिता खत्म हो गई , यहां तक कि खाने के लाले पड़ गए , जीवन बहुत कष्टप्रद हो गया । कोई काम आज तक सीखा ही नहीं, करें भी तो क्या करें, पिता की दौलत विरासत में मिली थी, जिसको बुरी लत में खत्म कर दिया ।
दूसरी ओर अभाव के दिन बहुत गरीबी में गुजर रहे थे, कभी खाना मिलता, कभी खाना नहीं मिलता । माता पिता अक्सर बीमार रहते थे, बहुत छोटी उम्र में घर का सारा काम खाना बनाना इत्यादि सीख गया था । बहुत मेहनत कर पढ़ाई की, एक एक पैसा जोड़ परिवार और छोटे भाई बहनों का पालन पोषण किया । कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाये, अपने परिश्रम से जी तोड़ मेहनत कर सफलता का मार्ग बनाया । जिससे भी जो उपयुक्त ज्ञान मिलता उसे तुरंत धारण कर लेता था । उसका व्यवहार मृदु सरल मधुरभाषी था । समय का चक्र घूमा, कुछ वर्षों बाद …. आज वह बहुत बड़ा व्यापारी है, बहुत सारे नौकर चाकर है, सैकड़ो लोगो को रोजगार दे रखा है, किसी भी बात की कमी नहीं है, अब भी प्रत्येक काम स्वयं के हाथों से करता है, थकावट होती है और रात को मीठी मीठी नींद पलक झपकते ही आ जाती है ।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अभाव ने अवसर को पहचाना , मेहनत कर अपना उच्च मुकाम हासिल किया , दूसरी तरफ सुविधा ने अपना मूल्यवान समय ऐशो आराम में नष्ट किया , किसी की सीख नहीं मानी और अंत समय कष्टप्रद हो गया ।
अर्थात मेहनत का फल मीठा होता है, किन्तु उसी मेहनत में गुरु की सीख और सलाह शामिल हो तो फल मीठा ही नहीं स्वादिष्ट और सुपाचक भी हो जाता है ।
—–जेपी लववंशी

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 2 Comments · 291 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
" दोहरा चरित्र "
DrLakshman Jha Parimal
वृक्ष की संवेदना
वृक्ष की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
माँ सरस्वती वंदना
माँ सरस्वती वंदना
Karuna Goswami
कुत्ते का श्राद्ध
कुत्ते का श्राद्ध
Satish Srijan
4440.*पूर्णिका*
4440.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ह्रदय की पीड़ा से
ह्रदय की पीड़ा से
Dr fauzia Naseem shad
एक व्यथा
एक व्यथा
Shweta Soni
कसक
कसक
Dipak Kumar "Girja"
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
Rj Anand Prajapati
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
कहां खो गए
कहां खो गए
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"ककहरा"
Dr. Kishan tandon kranti
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
मरने की ठान कर मारने के लिए आने वालों को निपटा देना पर्याप्त
मरने की ठान कर मारने के लिए आने वालों को निपटा देना पर्याप्त
*प्रणय*
मानवता
मानवता
Rahul Singh
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
Chitra Bisht
राम प्यारे हनुमान रे।
राम प्यारे हनुमान रे।
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
छोड़ो  भी  यह  बात  अब , कैसे  बीती  रात ।
छोड़ो भी यह बात अब , कैसे बीती रात ।
sushil sarna
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
AJAY AMITABH SUMAN
दोस्ती
दोस्ती
Adha Deshwal
रिश्ता
रिश्ता
अखिलेश 'अखिल'
*दोस्त*
*दोस्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
காதல் என்பது
காதல் என்பது
Otteri Selvakumar
"मैं तारीफें झूठी-मूठी नहीं करता ll
पूर्वार्थ
मासूम कोयला
मासूम कोयला
singh kunwar sarvendra vikram
प्री वेडिंग की आँधी
प्री वेडिंग की आँधी
Anil chobisa
*इस वसंत में मौन तोड़कर, आओ मन से गीत लिखें (गीत)*
*इस वसंत में मौन तोड़कर, आओ मन से गीत लिखें (गीत)*
Ravi Prakash
" हय गए बचुआ फेल "-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...