सीख…
जीवन में हर क्षण कुछ सीखने को मिलता हैं, सीखने की कोई उम्र नहीं होती हैं । जिससे भी हमें उपयुक्त ज्ञान मिले उसे बेझिझक प्राप्त कर लेना चाहिए । ज्ञान देने वाला कोई भी हो सकता है । एक बालक से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है । पेड़ से फल गिरना सामान्य घटना हैं, किन्तु महान वैज्ञानिक न्यूटन ने उसी पेड़ और फल से ज्ञान लेकर गुरुत्वाकर्षण बल का सिद्धांत, संसार को दिया , उसी प्रकार बेंजीन की जटिल सरंचना को सुलझाते सुलझाते वैज्ञानिक निराश हो चुके थे, किन्तु कैकुले ने स्वप्न में सर्प की घटना से सीखकर बेंजीन की षट्कोणीय सरंचना बनाई । अतः कहने का आशय यह है कि बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त नहीं होता है । यह भी सच है कि जब समस्या आती है तब ईश्वर उसका समाधान गुरु के रूप में अवश्य भेजता हैं ।
समय भी हमें बहुत कुछ सिखाता हैं, समय सबसे बड़ा गुरू है । एक छोटी सी कहानी मुझे याद आ गई..
सुविधा और अभाव दो जन एक ही शहर में रहते थे । सुविधा घर से बहुत सम्पन्न था, छोटे छोटे कार्यो के लिए भी बहुत सारे नौकर लगे हुए थे । सुविधा को सुबह बिस्तर उठाने, ब्रश पर पेस्ट लगाने तक के छोटे मोटे कार्यो को भी नहीं करना पड़ता था । जीवन बड़े ही ऐशो आराम से कट रहा था, दुःखी होने का कोई कारण बचा नहीं था, बस समय कैसे कटे , करवटें बदलते बदलते थक जाता था, नींद भी बड़ी मुश्किल से आती थी । नींद को ऐसे लोग कम ही पसंद आते हैं । कभी कभी सुविधा को नींद की गोलियां भी खानी पड़ती थी । धन दौलत की कमी थी नहीं, जो मन करता वही कार्य करता था, क्या सही हैं या गलत , इस बात की सीख देने वाले बहुत थे, किन्तु वो किसी की नहीं मानता था । नौकर को अपना गुलाम मानता था , उनकी सही सीख भी उसे हीन दिखाई देती थी । धीरे धीरे गलत संगति के कारण जुए की लत लग गयी । समय का चक्र घूमा, कुछ वर्षों बाद…… धीरे धीरे वैभव विलासिता खत्म हो गई , यहां तक कि खाने के लाले पड़ गए , जीवन बहुत कष्टप्रद हो गया । कोई काम आज तक सीखा ही नहीं, करें भी तो क्या करें, पिता की दौलत विरासत में मिली थी, जिसको बुरी लत में खत्म कर दिया ।
दूसरी ओर अभाव के दिन बहुत गरीबी में गुजर रहे थे, कभी खाना मिलता, कभी खाना नहीं मिलता । माता पिता अक्सर बीमार रहते थे, बहुत छोटी उम्र में घर का सारा काम खाना बनाना इत्यादि सीख गया था । बहुत मेहनत कर पढ़ाई की, एक एक पैसा जोड़ परिवार और छोटे भाई बहनों का पालन पोषण किया । कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाये, अपने परिश्रम से जी तोड़ मेहनत कर सफलता का मार्ग बनाया । जिससे भी जो उपयुक्त ज्ञान मिलता उसे तुरंत धारण कर लेता था । उसका व्यवहार मृदु सरल मधुरभाषी था । समय का चक्र घूमा, कुछ वर्षों बाद …. आज वह बहुत बड़ा व्यापारी है, बहुत सारे नौकर चाकर है, सैकड़ो लोगो को रोजगार दे रखा है, किसी भी बात की कमी नहीं है, अब भी प्रत्येक काम स्वयं के हाथों से करता है, थकावट होती है और रात को मीठी मीठी नींद पलक झपकते ही आ जाती है ।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अभाव ने अवसर को पहचाना , मेहनत कर अपना उच्च मुकाम हासिल किया , दूसरी तरफ सुविधा ने अपना मूल्यवान समय ऐशो आराम में नष्ट किया , किसी की सीख नहीं मानी और अंत समय कष्टप्रद हो गया ।
अर्थात मेहनत का फल मीठा होता है, किन्तु उसी मेहनत में गुरु की सीख और सलाह शामिल हो तो फल मीठा ही नहीं स्वादिष्ट और सुपाचक भी हो जाता है ।
—–जेपी लववंशी