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2 May 2024 · 1 min read

मौसम बारिश वाला

बिजली चमक रही हैं,
बादल गरज रहे हैं।
बारिश बरस रही हैं,
सर्दी भी लग रही हैं।।

अच्छा हुआ जो हम भी,
बिस्तर में घुस गए हैं।
बिस्तर भी ठंडा देखो,
कैसे गर्म करें हम।।

सर्दी जुकाम फैले,
सर्दी से बचना पहले।
वरना तो फिर हम,
डॉक्टर पर जाए पेले।।

बिजली तड़क रही हैं,
बादल भड़क रहे हैं।
ओले भी गिर रहे हैं,
पत्थर भी पड़ रहे हैं।।

मौसम बदल रहा हैं,
हद से गुजर रहा हैं।
परवाह तो नहीं अब ये,
ना ही ये डर रहा हैं।।

बचकर रहो तुम खुद ही,
बचाना ही पड़ रहा हैं।
डॉक्टर तैयार बैठा,
बस राहे वो तक रहा हैं।।

बिजली चमक रही हैं,
बादल गरज रहे हैं।
मौसम बड़ा ही प्यारा,
वो पकौड़ी तल रही हैं।।

गर्मा गर्म हैं प्याली,
चाय पे चाय वाली।
निकलो नहीं तुम घर से,
घरवाली ये कह रही हैं।।

खोलो ना तुम यू टीवी,
बीवी बुला रही हैं।
चटनी बना रही हैं,
तुमको बुला रही हैं।।

बिजली तड़क रही हैं,
बादल भड़क रहे हैं…

ललकार भारद्वाज

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