सिलसिले
जारी है ये सिलसिले
मुस्कुराते हुए फूलों के
बेरहमी से नुच जाने का,
मासूम सीने में
खंजर के चुभ जाने का,
जलते सवालों के
अकस्मात बुझ जाने का।
जुड़े हुए किस्सों के
फिर से टूट जाने का,
हसीन सपनों के
राह में खो जाने का,
इंसानी दिलों में
नफरतों के बो जाने का।
क्या कभी ये सिलसिले
बन्द हो सकेंगे,
टूटे हुए प्रीत के धागे
फिर से जुड़ने के
सिलसिले चल पड़ेंगे?
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।