Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2023 · 1 min read

सिर्फ तुम ।।।।

दुनिया में हर तरफ हर चीज का ताना बाना है ।
मुझे तो मेरे हर सुख दुख में सिर्फ तुम्हे गले लगाना है ।
मैंने हमेशा तुम्हे सिर्फ एक अच्छा दोस्त माना है ।
खबरदार जो कहा मुझे तुम्हारी जिंदगी से अब दूर जाना है ।
मुझे तुम्हारे अलावा किसी और को नहीं पाना है ,
तुम्हारे लिए हर चीज से लड़ जाना है ।
हां तुम्हे हक है चाहे जितना मुझे सताना है ,
और हां गुस्सा बहुत आता है मुझे इसलिए मुझे हमेशा प्यार से मानना है ।
मेरे लिए हमेशा चॉकलेट लेकर आना है ,
और अगर न लाए तो याद रखना मेरा घुसा भी फिर तुम्हे ही खाना है ।
सुनो मेरा गुस्सा होना तो सिर्फ बहाना है ,
असल में मुझे सिर्फ तुम्हारा प्यार पाना है ।

– Prachi Verma

Language: Hindi
1 Like · 86 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#दोहा
#दोहा
*प्रणय प्रभात*
आज का श्रवण कुमार
आज का श्रवण कुमार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
*फल*
*फल*
Dushyant Kumar
कौन कहता है कि नदी सागर में
कौन कहता है कि नदी सागर में
Anil Mishra Prahari
मौन देह से सूक्ष्म का, जब होता निर्वाण ।
मौन देह से सूक्ष्म का, जब होता निर्वाण ।
sushil sarna
3263.*पूर्णिका*
3263.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
परीक्षा
परीक्षा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
भुलाया ना जा सकेगा ये प्रेम
भुलाया ना जा सकेगा ये प्रेम
The_dk_poetry
कुछ लोग तुम्हारे हैं यहाँ और कुछ लोग हमारे हैं /लवकुश यादव
कुछ लोग तुम्हारे हैं यहाँ और कुछ लोग हमारे हैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
"चिता"
Dr. Kishan tandon kranti
नज़्म
नज़्म
Shiva Awasthi
आज बगिया में था सम्मेलन
आज बगिया में था सम्मेलन
VINOD CHAUHAN
अमीर
अमीर
Punam Pande
बीड़ी की बास
बीड़ी की बास
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
छप्पन भोग
छप्पन भोग
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
दोस्ती और प्यार पर प्रतिबन्ध
दोस्ती और प्यार पर प्रतिबन्ध
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
याद हो बस तुझे
याद हो बस तुझे
Dr fauzia Naseem shad
पिछले पन्ने 3
पिछले पन्ने 3
Paras Nath Jha
प्रकृति का गुलदस्ता
प्रकृति का गुलदस्ता
Madhu Shah
स्वप्न श्रृंगार
स्वप्न श्रृंगार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
Rekha khichi
मैं नारी हूं...!
मैं नारी हूं...!
singh kunwar sarvendra vikram
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
कवि दीपक बवेजा
परिसर खेल का हो या दिल का,
परिसर खेल का हो या दिल का,
पूर्वार्थ
कितना प्यारा कितना पावन
कितना प्यारा कितना पावन
जगदीश लववंशी
संकल्प
संकल्प
Bodhisatva kastooriya
वसुंधरा की पीड़ा हरिए --
वसुंधरा की पीड़ा हरिए --
Seema Garg
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
Writer_ermkumar
फितरत अमिट जन एक गहना
फितरत अमिट जन एक गहना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...