Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 1 min read

स्वप्न श्रृंगार

स्वप्न श्रृंगार

स्वप्न श्रृंगार नारी बन
,आती मेरे पास।
अर्द्ध रात्रि में सजी धजी
कहती हैं निज काम।।

निद्रा बेला था भयंकर,
स्वप्न शील था रात।
कानों में कह रही थी,
धीमी-धीमी बात।।

तुम्हें लेने मै आई,
चल मेरे संग साथ।
छोड़ यहां मोह माया,
पकड़ लीजिए हाथ।।

लिखी नसीब न मिट पाय,
देख लीजिए भाल।
चिन्तन मनन बंद कर,
चुंबन लो मम गाल।

नार बनकर मैं तुमसे
पूर्ण करूंगी आस
करूं वासना पूर्ण तय
बुझा दूंगी प्यास।।

खोल नयन विजय देखा
निसी बेला था मौन,।
चिंतन मनन कीजिएगा,
स्वप्न सत्य था। कौन।।

सोलह श्रृंगार कर नार
आती मेरे पास
झकझोर रखी हृदय मम
लेकर अपनी आस।।

काल कलिका खड़ी रही
दात रही विकराल
स्वप्न श्रृंगार नारी बन
लुभा रही थी काल।।

डां, विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छत्तीसगढ़
स्वप्न श्रृंगार नारी सा
लुभा रही थी काल।।

Language: Hindi
2 Likes · 279 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चरागो पर मुस्कुराते चहरे
चरागो पर मुस्कुराते चहरे
शेखर सिंह
फ़ुर्सत में अगर दिल ही जला देते तो शायद
फ़ुर्सत में अगर दिल ही जला देते तो शायद
Aadarsh Dubey
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
gurudeenverma198
यार ब - नाम - अय्यार
यार ब - नाम - अय्यार
Ramswaroop Dinkar
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
दरोगा तेरा पेट
दरोगा तेरा पेट
Satish Srijan
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
गजल सी रचना
गजल सी रचना
Kanchan Khanna
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
लक्ष्मी सिंह
दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
ruby kumari
When compactibility ends, fight beginns
When compactibility ends, fight beginns
Sakshi Tripathi
सुन मेरे बच्चे
सुन मेरे बच्चे
Sangeeta Beniwal
तुम क्या हो .....
तुम क्या हो ....." एक राजा "
Rohit yadav
इंसानियत का कोई मजहब नहीं होता।
इंसानियत का कोई मजहब नहीं होता।
Rj Anand Prajapati
💐प्रेम कौतुक-416💐
💐प्रेम कौतुक-416💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरी फितरत तो देख
मेरी फितरत तो देख
VINOD CHAUHAN
एक और इंकलाब
एक और इंकलाब
Shekhar Chandra Mitra
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जो जुल्फों के साये में पलते हैं उन्हें राहत नहीं मिलती।
जो जुल्फों के साये में पलते हैं उन्हें राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
फिर क्यूँ मुझे?
फिर क्यूँ मुझे?
Pratibha Pandey
2857.*पूर्णिका*
2857.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम नहीं हो
तुम नहीं हो
पूर्वार्थ
आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
sushil sarna
संन्यास के दो पक्ष हैं
संन्यास के दो पक्ष हैं
हिमांशु Kulshrestha
'मन चंगा तो कठौती में गंगा' कहावत के बर्थ–रूट की एक पड़ताल / DR MUSAFIR BAITHA
'मन चंगा तो कठौती में गंगा' कहावत के बर्थ–रूट की एक पड़ताल / DR MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
सफलता
सफलता
Vandna Thakur
साधक
साधक
सतीश तिवारी 'सरस'
राना दोहावली- तुलसी
राना दोहावली- तुलसी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
■ लघुकथा
■ लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...