Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

सियासी वक़्त

ज़रूरत पर मुख़ालिफ़ों से भी याराना लगता है,
ये जहां अब सियासतदारों का घराना लगता है।

गुजर गया वो वक़्त जब सियासत में मोहब्बत थी,
अब तो मोहब्बत में सियासत का ज़माना लगता है।

सबका साथ, सबका विकास, खत्म होगा भ्रष्टाचार,
ऐसी बातें तो अब महज़ चुनावी फ़साना लगता है।

पर्दे हटा कर ज़रा नैरंग-ए-सियासत तो देखिए जनाब!
ये अहद-ओ-पैमां तो हिसारदारों को नज़राना लगता है।

अब तो लोकतंत्र में भी दब जाते हैं ग़रीबों के नाले,
ये कुछ और नहीं तारीक वक़्त का आना लगता है।

-©®shikha

2 Likes · 24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सत्संग शिरोमणि रवींद्र भूषण गर्ग*
*सत्संग शिरोमणि रवींद्र भूषण गर्ग*
Ravi Prakash
वह इंसान नहीं
वह इंसान नहीं
Anil chobisa
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
कृष्णकांत गुर्जर
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
Acharya Rama Nand Mandal
खुशियों का बीमा
खुशियों का बीमा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
Neerja Sharma
3334.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3334.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
नारी
नारी
Mamta Rani
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
Lokesh Sharma
अकेलापन
अकेलापन
Shashi Mahajan
चंचल मन
चंचल मन
उमेश बैरवा
जीवन पर
जीवन पर
Dr fauzia Naseem shad
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
Neelam Sharma
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
Ranjeet kumar patre
आईना
आईना
Pushpa Tiwari
तुझे किस बात ला गुमान है
तुझे किस बात ला गुमान है
भरत कुमार सोलंकी
हिंदी भारत की पहचान
हिंदी भारत की पहचान
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
लहर आजादी की
लहर आजादी की
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
दोस्ती
दोस्ती
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
प्रेम एक सहज भाव है जो हर मनुष्य में कम या अधिक मात्रा में स
प्रेम एक सहज भाव है जो हर मनुष्य में कम या अधिक मात्रा में स
Dr MusafiR BaithA
#है_व्यथित_मन_जानने_को.........!!
#है_व्यथित_मन_जानने_को.........!!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"अकेडमी वाला इश्क़"
Lohit Tamta
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
आधुनिक नारी
आधुनिक नारी
Dr. Kishan tandon kranti
"जिंदगी, जिंदगी है इसे सवाल ना बना"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#दोहा-
#दोहा-
*प्रणय प्रभात*
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
Dheerja Sharma
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
वादे करके शपथें खा के
वादे करके शपथें खा के
Dhirendra Singh
Loading...