साहब
साहब
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जाने किस मद में
मदहोश हैं साहब,
कर्त्तव्य छोड़,अराजकता पर
उतर आए साहब।
एक आम नागरिक ने
जख्म क्या कुरेद दिया,
इंसान से शैतान बन गये साहब।
संविधान की मर्यादा
कानून का मजाक
अपने गुर्गों को खुली छूट देकर
क्या कर गए साहब?
अपनी खीझ मिटाने के लिए
कितना गिर गए साहब
जाने क्यों न समझते हैं?
मर्यादा को ताक पर रखकर
सड़क छाप गुण्डा बन गये साहब।
ऐसे लगता है
सत्ता उनकी बपौती है,
जनता सब देखती है।
वोटों की भीख से
महरूम कर देती है।
वोटों से अपना प्रतिउत्तर भी देती है,
अच्छे अच्छों को भीख माँगने लायक
भी रहने नहीं देती साहब।
आज महलों में चूर हो साहब
कल सड़कों भी आवोगे साहब।
@सुधीर श्रीवास्तव