सावन को आने दो
तुझे गीतों में ढा लूँगा , सावन को आने दो,
भाई जब तक सावन नहीं आएगा
तो क्या गीत, नहीं बनाया जाएगा
अगर इतना बरस गया सावन
तो वो बाढ़ में नहीं , बह जाएगा
जो करना है सो आज कर
कल के भरोसे का एतबार न कर
यहाँ कब तूफ़ान आ जाये
आज ही क्यों न वो मुकाम कर
जिन्दा दफ़न हो जाती है जिन्दगीयाँ
गीतों के लिए सावन कम पड़ेगा
आज सुबह उठ, कागज कलम पकड़
जो चाहे गीता, उस को अभी सरोकार कर
अजीत कुमार तलवार
मेरठ