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7 May 2024 · 1 min read

जिंदगी

जिंदगी है कोई मांगा हुआ अख़बार नहीं ।
जाइये और कहीं यहां कोई खरीददार नहीं ।
राह है कांटों भरी चलना बहुत मुश्किल है यहां।
साथ चलने को मेरे कोई भी तैयार नहीं।
और इंतिहा देते देते उम्र बीत गई इतनी ।
फिर भी नाकामियों को कोई मददगार नहीं ।
और बेच दिया देते हैं यहां ईमान चंद सिक्कों की तरह
जाइये साहिब कहीं यहां आपका कोई खरीददार नहीं।।
phool gufran

Language: Hindi
15 Views
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