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13 May 2024 · 1 min read

मन हमेशा एक यात्रा में रहा

मन हमेशा एक यात्रा में रहा
कहीं से .. कहीं भी..
तक की यात्रा ।

समय और दूरी के नियमों से बेख़बर
बंदिशों से बेफिकर
मन लांघता गया
अनंत की सीमाओं को ।

मन लौटा भी
कभी भरा हुआ सा
कभी ख़ाली हाथ ।

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