लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं करू !! @ डॉ लक्ष्मण झा परिमल