Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 1 min read

*** कुछ पल अपनों के साथ….! ***

“” चल चाचा जी…
कुछ पल यहां गुजार लें…..!
कदम-कदम पर उलझनों के फेरे हैं,
ऊल-जलूल बातों से घिरे हम मिट्टी के ढेर हैं ;
शायद..! ये कल,रहे या न रहे…
तेरे-मेरे, अपने-पराये से उलझी,
ये जिंदगी को हम संवार लें…!
प्रगति के घेरों में हम…
रिश्ते-नाते तोड़ गए हैं…!
मैं सही, तू गलत के फेर में…
प्रेम की बस्ती छोड़ गए हैं…!
वैज्ञानिक प्रगति ने…
जंगल में आग लगाया है…!
पश्चिमी सभ्यता ने…
बिकनी का रोग फैलाया है…! “”

“” चल चाचा जी…
कुछ पल यहां गुजार लें…!
अकेलेपन का रोग..
हम सब पर भारी है…!
घर-परिवार, गांव-गली और चौक-चौराहे…
मय-मदिरा की अनबुझ चिंगारी है..!
बिन अपने, ये जहां…
न तेरे काम का, न मेरे काम का…!
जिंदगी में अपनापन…
हर कोई दिखाता है यहां..!
मगर…! कौन अपना, कुछ पल…
अपनों के संग बिताता है यहां…!
अपनों के संग से..
बड़े-बड़े जंग भी जीते जाते हैं…!
और अपनों के संग छुट जाने से…
अपनी राजमहल भी,
खंडहर सी नजर आते हैं…!
अपनों के चने पकोड़े…
मेवा-मिष्ठान की स्वाद दे जाता है..!
अपनों के, सर पर हाथ का फेरा…
अनमोल आयुर्वेद संजीव बन जाता है..!
गली-गली में भरे पड़े हैं…
कुछ कालू मुल्जिम सरदार..!
विवादों से घिरे हुए हैं आज…
अनेक घर परिवार…!
तुम मर जाओ, मिट जाओ…
किसी भाई को आज, कोई नहीं सरोकार..!
पलायन वेग से चलती…
ये अपनी जिंदगी की रफ्तार…!
कौन जानता है, कौन मानता…?
वो पुनर्जन्म की बात…!
किसे पता है…?
हमें फिर मिलेंगे, मानव रूप अवतार…!! “”

*************∆∆∆***********

Language: Hindi
74 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
Kanchan Khanna
हर शाखा से फूल तोड़ना ठीक नहीं है
हर शाखा से फूल तोड़ना ठीक नहीं है
कवि दीपक बवेजा
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Siksha ke vikas ke satat prayash me khud ka yogdan de ,
Siksha ke vikas ke satat prayash me khud ka yogdan de ,
Sakshi Tripathi
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
दुष्यन्त 'बाबा'
राम से बड़ा राम का नाम
राम से बड़ा राम का नाम
Anil chobisa
बुद्धि सबके पास है, चालाकी करनी है या
बुद्धि सबके पास है, चालाकी करनी है या
Shubham Pandey (S P)
गर भिन्नता स्वीकार ना हो
गर भिन्नता स्वीकार ना हो
AJAY AMITABH SUMAN
बेटियां / बेटे
बेटियां / बेटे
Mamta Singh Devaa
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
कृष्णकांत गुर्जर
जी रहे हैं सब इस शहर में बेज़ार से
जी रहे हैं सब इस शहर में बेज़ार से
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
करम
करम
Fuzail Sardhanvi
हे राम ।
हे राम ।
Anil Mishra Prahari
खोया हुआ वक़्त
खोया हुआ वक़्त
Sidhartha Mishra
अभी भी शुक्रिया साँसों का, चलता सिलसिला मालिक (मुक्तक)
अभी भी शुक्रिया साँसों का, चलता सिलसिला मालिक (मुक्तक)
Ravi Prakash
हालातों से हारकर दर्द को लब्ज़ो की जुबां दी हैं मैंने।
हालातों से हारकर दर्द को लब्ज़ो की जुबां दी हैं मैंने।
अजहर अली (An Explorer of Life)
अक्ल के दुश्मन
अक्ल के दुश्मन
Shekhar Chandra Mitra
"चालाक आदमी की दास्तान"
Pushpraj Anant
रोम-रोम में राम....
रोम-रोम में राम....
डॉ.सीमा अग्रवाल
सत्य पथ पर (गीतिका)
सत्य पथ पर (गीतिका)
surenderpal vaidya
सनम
सनम
Sanjay ' शून्य'
💐प्रेम कौतुक-351💐
💐प्रेम कौतुक-351💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"तुम इंसान हो"
Dr. Kishan tandon kranti
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी की १३२ वीं जयंती
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी की १३२ वीं जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
क्या हुआ ???
क्या हुआ ???
Shaily
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
मेल
मेल
Lalit Singh thakur
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
जिसने भी तुमको देखा है पहली बार ..
जिसने भी तुमको देखा है पहली बार ..
Tarun Garg
वह सिर्फ पिता होता है
वह सिर्फ पिता होता है
Dinesh Gupta
Loading...