कर्मों से ही होती है पहचान इंसान की,
निराला जी पर दोहा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
प्रीति की राह पर बढ़ चले जो कदम।
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
कर्म परायण लोग कर्म भूल गए हैं
सनातन
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
ग़रीब
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
अछूत का इनार / मुसाफ़िर बैठा
प्रत्याशी को जाँचकर , देना अपना वोट
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
23/49.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
भाषाओं का ज्ञान भले ही न हो,
*नगरपालिका का कैंप* (कहानी)
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।