[[[सामाजिक सद्भाव]]]
सामाजिक सद्भाव
// दिनेश एल० “जैहिंद”
(१)
खुदा के वास्ते खुदा की बात भूल जा खुदा न आएगा !
खुदा खुदा कहते कहते तू मर जाएगा खुदा न आएगा !!
कहाँ दिल में चैन है, कहाँ अमन है जहां में
विचार कर,,
तू सहन शक्ति बढ़ा, जग में प्रेम फैला खुदा न आएगा !!
(२)
तेरा खुदा कुछ और है, तेरे खुदा से क्या मेरा खुदा जुदा है !
ना तू खुदा को देखा है, ना मैं खुदा को देखा हूँ वो रुठा है !!
खुदा के नाम पे ये नफरत क्यूँ हममें तुममें
रचती बसती,,
तेरे हाथों मेरा ईमान व मेरे हाथों तेरा ईमान क्यूँ लुटा है !!
(३)
गर खुदा है कहीं तो, खुदा कहता
खुदा की बात मान तू!
खुदा नहीं है विधर्मी, है नेक दिल
खुदा की चल चाल तू!!
जायज कानून बनाकर इंसाफ कर
न्याय कर
खुदा जैसा,,
क्यों अमीर गरीब व राजा रंक का
सवाल बना यहाँ फालतू!!
(४)
दिलों में नरमी, गुस्से पर काबू व
दिल दरिया बना तू!
प्यासे को पानी, भूखे को भोजन
नंगे को वस्त्र दिला तू!!
उदारता ला, दिलों से क्रूरता हटाके
फैला दे
समरसता,,
हीनता से निकाल निर्धन को फिर
अमृत घूँट पिला तू!
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दिनेश एल० “जैहिंद”
21/12/2019