Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2024 · 2 min read

*अध्याय 4*

अध्याय 4
भतीजी रुक्मिणि से बालक रामप्रकाश को गोद मॉंगा

दोहा

प्रेम जगत का मूल है, सद्गति का आधार
जहॉं प्रेम मन में बसा, धन्य-धन्य व्यवहार

1)
नहीं नहीं अब बिना नहीं यह बालक जी पाऊंगा
अब मैं इसको गोद मॉंग कर अपने घर लाऊंगा
2)
मेरा राम प्रकाश बनेगा मेरा सॅंग पाएगा
नहीं कहीं फिर एक मिनट भी कभी दूर जाएगा
3)
दृढ़ निश्चय कर उठे एक दिन मन में इच्छा ठानी
मन में उमड़ रही ऑंधी की कहना आज कहानी
4)
मन में था वात्सल्य-भाव उमड़ा ही उमड़ा जाता
मानो जन्मो जन्मो का हो इस बालक से नाता
5)
नहीं देर अब करनी मुझको मन की आज कहूंगा
बिना कहे कुछ मन की भाषा अब मैं नहीं रहूंगा
6)
चले सधे कदमों से मन में झंझावात सॅंजोए
मन में राम प्रकाश पुत्र के ही सपनों में खोए
7)
गए भतीजी के घर जाकर रुक्मिणि को बतलाया
“आज मॉंगने तुझसे कुछ मैं तेरे घर हूॅं आया
8)
जो वस्तु मॉंगनी है तुझसे तेरे प्राणों से बढ़कर
किंतु आज वह ही पाना है बेटी दे मुझको वर
9)
तू समर्थ है नहीं अकेले कैसे दे पाएगी
बिना सास के पति के निर्णय कैसे बतलाएगी”
10)
सुनकर अजब बात यह रुक्मिणि का माथा चकराया
आज मॉंगने का विचार कैसे ताऊ को आया
11)
सदा वस्तुऍं दीं ही मुझको कभी नहीं कुछ मॉंगा
आज मॉंगने चले किस तरह क्यों कौतूहल जागा
12)
नहीं मॉंगने वाले हैं ताऊ जी केवल दाता
सूर्य-चंद्र की भॉंति सदा से देना उनको आता
13)
तभी कटोरी देवी सासू मॉं बोली सुन आईं
और साथ में पुत्र भिकारी लाल वहॉं पर लाईं
14)
निर्णय लेने वाले घर के देखा सभी खड़े हैं
उत्सुकता विस्मय से सबके मन के भाव भरे हैं
15)
बोले तब सुंदर लाल कटोरी देवी को बतलाया
“राम प्रकाश आज लेने मैं पास आपके आया
16)
वस्तु बहुत अनमोल किंतु यह आज मुझे पानी है
इसे रखुंगा पास सदा मैंने मन में ठानी है
17)
पौत्र आपका यह पाकर मैं जीवन धन्य करूंगा
दे इसको सर्वस्व जिऊंगा, चिंता रहित मरुॅंगा
18)
इसे गोद लेने की इच्छा शुभ मन में जागी है
इसी कामना से अब निद्रा सब मेरी भागी है
19)
दे हीरा अनमोल लाल यह तृप्त मुझे कर जाओ
चाह रहा मैं मुझे गोद में देने बालक लाओ”
20)
सुनकर रुक्मिणि बोलीं “जग में अपना कौन कहाता
पल दो पल का साथ सभी से पल दो पल का नाता
21)
सदा आपका ही है राम प्रकाश आपका बेटा
सदा समझिए गोदी में यह सदा आपके लेटा
22)
अलग नहीं हूं कभी आपसे आज्ञा ही मानूंगी
धन्य चरण स्पर्श मात्र से अपने को जानुंगी
23)
आप सरीखा पिता भाग्य से किसको मिल पाता है
पुण्यवान ही संचित पुण्यों से शुचि घर आता है
24)
स्वर्णाक्षर में लिखा भाग्य जो पिता आप-सा पाए
बड़़भागी हैं जन्म आपके घर में लेकर आए”

दोहा

भाग्य प्रबल संसार में, भाग्य सिर्फ आधार
परिवर्तन क्षण में हुआ, क्षण में सुख-संचार
__________________________________________________

27 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
रेखा कापसे
2855.*पूर्णिका*
2855.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#शीर्षक- 55 वर्ष, बचपन का पंखा
#शीर्षक- 55 वर्ष, बचपन का पंखा
Anil chobisa
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
........?
........?
शेखर सिंह
"नंगे पाँव"
Pushpraj Anant
☝विशेष दिन : अनूठा_उपाय....
☝विशेष दिन : अनूठा_उपाय....
*Author प्रणय प्रभात*
*देश भक्ति देश प्रेम*
*देश भक्ति देश प्रेम*
Harminder Kaur
जिंदगी मौत से बत्तर भी गुज़री मैंने ।
जिंदगी मौत से बत्तर भी गुज़री मैंने ।
Phool gufran
रास्ते जिंदगी के हंसते हंसते कट जाएंगे
रास्ते जिंदगी के हंसते हंसते कट जाएंगे
कवि दीपक बवेजा
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
*सत्य ,प्रेम, करुणा,के प्रतीक अग्निपथ योद्धा,
*सत्य ,प्रेम, करुणा,के प्रतीक अग्निपथ योद्धा,
Shashi kala vyas
गरीबी की उन दिनों में ,
गरीबी की उन दिनों में ,
Yogendra Chaturwedi
"झूठ और सच" हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150 से चुने हुए श्रेष्ठ 11 दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150 से चुने हुए श्रेष्ठ 11 दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
श्री रामलला
श्री रामलला
Tarun Singh Pawar
मोहे हिंदी भाये
मोहे हिंदी भाये
Satish Srijan
कालः  परिवर्तनीय:
कालः परिवर्तनीय:
Bhupendra Rawat
Meditation
Meditation
Ravikesh Jha
💐प्रेम कौतुक-329💐
💐प्रेम कौतुक-329💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कजरी लोक गीत
कजरी लोक गीत
लक्ष्मी सिंह
बड़ा मन करऽता।
बड़ा मन करऽता।
जय लगन कुमार हैप्पी
It’s all be worthless if you lose your people on the way..
It’s all be worthless if you lose your people on the way..
पूर्वार्थ
मेरा नाम
मेरा नाम
Yash mehra
फूल
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
Aarti sirsat
तलाशता हूँ -
तलाशता हूँ - "प्रणय यात्रा" के निशाँ  
Atul "Krishn"
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
Bodhisatva kastooriya
"परोपकार के काज"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...