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2 Apr 2024 · 1 min read

* साथ जब बढ़ना हमें है *

** गीतिका **
~~
साथ जब बढ़ना हमें है, छोड़ दें अलगाव।
और सब सहते रहे मिल, मन बदन पर घाव।

शूल पांवों में चुभा है, राह पर वीरान।
मिल नहीं पाती हमेशा, धूप में है छांव।

दूर पंछी उड़ रहा है, नील नभ के पार।
जोश में सारा सिमटकर, रह गया फैलाव।

नम हुई आंखें सहज ही, अश्रु छलके खूब।
स्नेह पूरित हो गये हैं, जब हृदय के भाव।

एक से रहते नहीं है, जब कभी हालात।
वक्त के अनुरूप सबमें, आ रहा बदलाव।

साथ में सब चल रहे हैं, एक सबकी राह।
मंजिलें सबको मिलेगी, हो नहीं भटकाव।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 104 Views
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