सात जन्मों तक
लीजा अपने मदर-फादर के साथ एक वर्ष का वीजा लेकर भारत भ्रमण पर आई। भारत में ही एक लड़के से उसकी दोस्ती हुई फिर वह दोस्ती प्रेम की राह पर चलते हुए शीघ्र मैरिज करने तक जा पहुँची।
शादी मण्डप सजाए गए। वैवाहिक रीति-रिवाजों एवं पवित्र मंत्रों का अर्थ लीजा एवं उनके माता-पिता को समझाने के लिए दुभाषिये लगाए गए। फिर अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए गए। सात जन्मों तक साथ निभाने की शपथ दिलाई गई।
जब दुभाषिये ने लीजा को सात जन्मों तक साथ-साथ रहने की बात बताई कि – सेम हसबैंड इन सेवन मोर बर्थस टू कम” तो लीजा एकदम विचलित हो गई। वह बोल पड़ी- व्हाट? नो,,,नो। वह अंग्रेजी में धारा प्रवाह बोलती गई, जिसका अर्थ था- सात जन्मों तक क्या? मैं तो इस जन्म में आखिरी तक तुम्हारे साथ नहीं रह पाऊंगी।
मेरी प्रकाशित लघुकथा संग्रह :
मन की ऑंखें (दलहा, भाग-1) से,,,।
लघुकथाएँ ‘दलहा 1 से 7 भाग’ में संकलित हैं।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।