Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2024 · 1 min read

पराया

जिंदगी जिना अच्छा लगता हैं,
जब कोई पराया अपने मन में घर कर लेता हैं….
जिंदगी जिना अच्छा लगता है,
जब कोई पराया अपनासा लगने लगता हैं……
जिंदगी जिना अच्छा लगता है,
जब सब कुछ भुल के,
कोई हमारे लिये वक्त निकालता हैं…….
जिंदगी जिना अच्छा लगता है,
जब कभी रूठ के तो कभी प्यार से,
कोई हमारे मन पर राज करता हैं………
जिंदगी जिना अच्छा लगता है,
जब कोई पराया, कहाँ भी हो,
वहाँ भी, बिना भुले,
हमें याद करता हैं…..
जिंदगी जिना अच्छा लगता है,
जब मन मैं घर करनेवाला,
कोई पराया नहीं बल्की अपना ही हैं,
इसका एहसास मन को होता हैं………

1 Like · 37 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बेरूख़ी के मार से गुलिस्ताँ बंजर होते गए,
बेरूख़ी के मार से गुलिस्ताँ बंजर होते गए,
_सुलेखा.
#अंतिम_उपाय
#अंतिम_उपाय
*Author प्रणय प्रभात*
"वक्त"के भी अजीब किस्से हैं
नेताम आर सी
सिसकियाँ
सिसकियाँ
Dr. Kishan tandon kranti
ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਤਿਜਾਰਤਾਂ
ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਤਿਜਾਰਤਾਂ
Surinder blackpen
जय अन्नदाता
जय अन्नदाता
gurudeenverma198
बैसाखी....
बैसाखी....
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
अफसोस-कविता
अफसोस-कविता
Shyam Pandey
दिवाली
दिवाली
Ashok deep
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
Anil Mishra Prahari
एक नज़र में
एक नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
Ravi Prakash
जीने की वजह हो तुम
जीने की वजह हो तुम
Surya Barman
इक परी हो तुम बड़ी प्यारी हो
इक परी हो तुम बड़ी प्यारी हो
Piyush Prashant
ग़ज़ल/नज़्म : पूरा नहीं लिख रहा कुछ कसर छोड़ रहा हूँ
ग़ज़ल/नज़्म : पूरा नहीं लिख रहा कुछ कसर छोड़ रहा हूँ
अनिल कुमार
హాస్య కవిత
హాస్య కవిత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
3225.*पूर्णिका*
3225.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
शेखर सिंह
अतीत
अतीत
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
बमुश्किल से मुश्किल तक पहुँची
बमुश्किल से मुश्किल तक पहुँची
सिद्धार्थ गोरखपुरी
फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
फलक भी रो रहा है ज़मीं की पुकार से
Mahesh Tiwari 'Ayan'
गजब गांव
गजब गांव
Sanjay ' शून्य'
हमारी हिन्दी ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं करती.,
हमारी हिन्दी ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं करती.,
SPK Sachin Lodhi
मेरी औकात
मेरी औकात
साहित्य गौरव
भक्तिभाव
भक्तिभाव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
NUMB
NUMB
Vedha Singh
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
नूरफातिमा खातून नूरी
Loading...