साक्षात्कार- पीयूष गोयल लेखक
१- सर्व प्रथम संक्षिप्त शब्दों में आपका परिचय। आप कहाँ से हैं, वर्तमान समय में क्या करते हैं? आपका लेखन क्षेत्र में कैसे आगमन हुआ? – मेरा नाम पीयूष कुमार गोयल हैं, मैं १० फरवरी १९६७ को माता रविकांता गोयल व पिता डॉ देवेंद्र कुमार गोयल के यहाँ पैदा हुआ.एक माध्यम वर्गीय परिवार से हूँ. मैं दादरी निवासी, यांत्रिक अभियंता ५६ वर्षीय २७ साल का कई बड़ी-बड़ी कंपनी में काम करने का अनुभव, मुझे बचपन से ही गणित में रुचि रही हैं,या यूँ कहिये गणित मेरा पहला प्रेम हैं, मैंने बहुत सा नया काम गणित में किए उस काम को मैं पुस्तक के रूप में देखना चाहता था, बहुत बहुत प्रयास के बाद मेरी पुस्तक २०१० में मेरी पहली पुस्तक पब्लिश हुई और उसके बाद गणित का काम रिसर्च जर्नल में भी पब्लिश हुआ और अब तक १० पुस्तकें पब्लिश हो चुकी हैं ये तो रहा पब्लिश पुस्तकों के बारे में वैसे मुझे लिखने की रुचि बचपन से ही थी. हाथ से दर्पण छवि में लिखना २००३ से हैं और २०२२ तक १७ पुस्तकें हाथ से लिख चुका हूँ. २- दर्पण छवि लेखन की कैसे सूझी और कहाँ से आपको प्रेरणा मिली? दर्पण छवि के अतरिक्त आप और किस प्रकार का लेखन करते हैं? दर्पण छवि मैं १९८७ से जानता था पर इसकी शुरुआत २००३ से हुई, सन २००० में मेरा एक्सीडेंट हो गया बहुत गंभीर ९ महीने खाट पर रहा, २००३ में नौकरी चली गई अवसाद में चला गया एक दिन अचानक एक मित्र ने मुझे श्रीमदभगवद्गीता दी और मैंने प्रसाद समझ कर लिया और उसी समय एक पेज पढ़ लिया आप यक़ीन करेंगे लगभग ७ महीने ने पूरी श्रीमद्भागवदगीता के १८ अध्याय ७०० श्लोकों को हिन्दी व इंगलिश दोनों भाषाओं में लिखा मेरा अवसाद भी ख़त्म और नौकरी भी लग गई.दर्पण छवि के अलावा मुझे लघुकथा व विचार लिखने का शौक़ हैं ३- आपने श्रीमद् भगवत गीता को भी दर्पण छवि में लिखा है, उस समय आपको किन किन चुनौतीयों का सामना करना पड़ा? -जी हाँ श्रीमदभगवद्गीता को लिखते समय ३ बार मन विचलित हुआ लिखने में कोई दिक़्क़त नहीं हुई पर बीच में मन नहीं करता था लिखने का पर मैं यहाँ एक बात बताना चाहता हूँ क्योंकि मैं आध्यात्मिक व्यक्ति हूँ जब हम कोई धार्मिक पुस्तक पढ़ते हैं या लिखते हैं उसको बीच में अधूरा नहीं छोड़ते बस इस तरह से पूरी हुई ४- आपकी इन अनूठी लेखन शैली पर लोगों की क्या प्रतिक्रियाएँ आपको मिलती हैं? और आप खुद को किस प्रकार सकारात्मक रखते हुए अपना लेखन करते हैं? -लोगों की प्रतिक्रिया काम की हमेशा तारीफ़ करते हैं और पुछतें भी हैं कैसे किया आपने ये सब मैं उनको एक छोटी सी कहानी बताता हूँ “ कौएँ ने कंकड़ डाल कर पानी पी लिया था अगर एक पक्षी कंकड़ डाल कर पानी पी सकता हैं तो मैं या आप क्यों नहीं कर सकते बस यही हैं सकारात्मक सोच और हो गया” बता दूँ मैं यही कौशिश करता हूँ हमेशा सकारात्मक रहों और अपने आस पास के लोगों को भी सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित करो ५- आपके पसंदीदा लेखक कौन हैं और आप किस प्रकार का साहित्य पढ़ना पसंद करते हैं? -मेरे पसंदीदा लेखक प्रेमचंद जी,टैगोर जी,मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, मैं हमेशा ऑटोबायोग्राफ़ी,बायोग्राफी, लघुकथा व ऐसा साहित्य जो मुझे मोटीवेट करता हैं ६- भविष्य के लिए आपके लेखन की क्या योजनाएँ हैं? पाठकों के नाम कोई खास संदेश। -अभी १७ पुस्तकें हुई हैं, ईश्वर के आशीर्वाद से २० पुस्तकें पूरी करूँ वो भी दर्पण छवि में और हाथ से अलग-अलग तरीक़े से लिखूँ प्रयास जारी हैं और पाठकों को ये कहना चाहता हूँ जनूनी बनों अपने अच्छे काम से अपना अपने परिवार का समाज का और देश का नाम रोशन करो क्योंकि “सपने आपके अपने हैं और आप अपनों के अपनें हो अपनें सपनें पूरे करो क्योंकि सपनें देखने के भगवान पैसे नहीं लेता” व “ पूरी दुनियाँ नतीजे को सलाम करती हैं लेकिन प्रयास करने वालों की कभी हार नहीं होती”.