साँप का जहर
साँप का जहर
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साँप का जहर उतारना जरूरी था,
गया वो शहर के आलीशान अस्पताल में।
सर्पदंश से पीड़ित था वो दीनहीन मनुष्य,
लेटा था इमर्जेंसी वार्ड में फटेहाल में।
यमराज ने सायंकाल आकर उससे कहा,
भयानक रस के सुर-ताल में ।
विष तो अमीरों का भी नहीं उतरता है यहाँ,
तुम पडे़ हो सुबह से किस भ्रमजाल में।
मौत पल पल पास आ रही है तुम्हारे,
फिर भी तुम अंजान हो इस दुष्काल में।
सर्पदंश की दवा उपलब्ध नहीं रहती,
प्राइवेट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में।
सिक्युरिटी गार्ड आयेंगे और फेंक देंगे तुम्हें,
बाहर सूखे पडे़ तरणताल में ।
डाक्टरों ने कहा है उन्हें नहीं पड़ना है ,
किसी डेथ सर्टिफिकेट के जंजाल में।
तुम्हें तो जाना था समय पर ही ,
किसी सरकारी जिला अस्पताल में।
जहाँ साँप के जहर उतरने की संभावना रहती,
बेइंतहा और हर हाल में…
(आँखों देखी सच्ची घटना पर आधारित)
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १६ /०७ /२०२३
श्रावण , कृष्ण पक्ष , चतुर्दशी ,रविवार
विक्रम संवत २०८०
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