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7 May 2024 · 1 min read

प्रेम भरे कभी खत लिखते थे

प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
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प्रेम भरे कभी खत लिखते थे,
देख के सूरत खिल उठते थे।

छन-छन छनके पायल घूँघरू,
प्यार के सायरन हर बजते थे।

ईश्क का जादू सिर चढ़ बोले,
शौख हसीना पे मर मिटते थे।,

आँखों से मय को पीते रहते,
मदिरा के प्याले हम भरते थे।

देख झलक गौरी की मजनू,
शमां परवाने जल उठते थे।

मीठे बोल शरबत के प्याले,
मनसीरत पीड़ा दुख हरते थे।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

23 Views
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