सर्द मौसम में तेरी गुनगुनी याद
जब भी सर्द मौसम में तेरी,
गुनगुनी याद सरसराती है ।
इन्द्रधनुष को खिलाने के लिये,
बादलों से धूप टपक जाती है ।।
जब कभी वक़्त की गली,
तेरी याद दोहराती है ।
आंखों के सूने से कोठर में,
बरसात ठहर जाती है ।।
मुस्कुराहट सहसा ही,
आ जाती है अधरों पर ।
जब कहीं से कानों में तेरी,
आवाज़ खनक जाती है ।।
इन्द्रधनुष को खिलाने के लिये,
बादलों से धूप टपक जाती है ।।
@ नील पदम्