Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2024 · 1 min read

* आ गया बसंत *

** घनाक्षरी **
~~
पतझड़ विदा हुआ है आ गया बसंत काल,
खूब हरियाली चारों ओर देखो छा रही।
धुंध हो गई समाप्त शीत का थमा चलन,
गीत सुमधुर अति चिड़िया है गा रही।
कोंपलें सुकोमल है देखिए नयी नवेली,
छवियां अनेक प्रिय सामने हैं आ रही।
फूल मुस्कुरा उठे हैं कलियों के साथ साथ,
और प्रकृति स्वयं है खूब इठला रही।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १८/०३/२०२४

1 Like · 1 Comment · 34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
राम काव्य मन्दिर बना,
राम काव्य मन्दिर बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कण-कण में श्रीराम हैं, रोम-रोम में राम ।
कण-कण में श्रीराम हैं, रोम-रोम में राम ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
हवा तो थी इधर नहीं आई,
हवा तो थी इधर नहीं आई,
Manoj Mahato
फितरत
फितरत
Anujeet Iqbal
साथ
साथ
Dr fauzia Naseem shad
चंद्रयान-3 / (समकालीन कविता)
चंद्रयान-3 / (समकालीन कविता)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
तू भी धक्के खा, हे मुसाफिर ! ,
तू भी धक्के खा, हे मुसाफिर ! ,
Buddha Prakash
यक्ष प्रश्न है जीव के,
यक्ष प्रश्न है जीव के,
sushil sarna
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
Rj Anand Prajapati
शबे- फित्ना
शबे- फित्ना
मनोज कुमार
■सामयिक दोहा■
■सामयिक दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य की खोज
सत्य की खोज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इंसान
इंसान
Vandna thakur
2830. *पूर्णिका*
2830. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गुरुर ज्यादा करोगे
गुरुर ज्यादा करोगे
Harminder Kaur
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
पिटूनिया
पिटूनिया
अनिल मिश्र
"वक्त के साथ"
Dr. Kishan tandon kranti
" भूलने में उसे तो ज़माने लगे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
स्वयं आएगा
स्वयं आएगा
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चंचल मन
चंचल मन
Dinesh Kumar Gangwar
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
शिव प्रताप लोधी
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
Manisha Manjari
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
सत्य कुमार प्रेमी
मुझ को अब स्वीकार नहीं
मुझ को अब स्वीकार नहीं
Surinder blackpen
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
मनोज कर्ण
*बिटिया रानी पढ़ने जाती {बाल कविता}* ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
*बिटिया रानी पढ़ने जाती {बाल कविता}* ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
Ravi Prakash
बेवफा
बेवफा
Neeraj Agarwal
Loading...